Menu
blogid : 11956 postid : 12

चिलचिलाती गर्मी में ठंढक का एहसास

दस्तक
दस्तक
  • 16 Posts
  • 13 Comments

गर्मी में माथे से टपकती पसीनें की बूंदे, शरीर को झुलसा देने वाली गर्म पछुआ पवन में हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं यह सोचने में जितना सहज है करने में उतना ही कठिन। खैर छोड़िए इन बेतुकी बातों को। हम मुद्दे की ओर बढ़ते हैं। परीक्षा के परिणाम निकल चुके हैं। पिछली क्लास में हमने क्या पाय और क्या खोया, कोइ गम नहीं। किसी तरह सर से इम्तिहान का भूत उतरा। आगे की पढ़ाई फिर कभी सोचेंगे। अभी-अभी इम्तिहान का भूत उतरा है तो क्यूं न पहले कुछ मौज-मस्ती और मतलब की बात हो जाए। भाई जब गर्मी सर चढ़ कर बोल रही हो, नित नए रिकार्ड बनाती और तोड़ रही हो तो हमें भी लीक से हट कर कुछ ऐसा करना चाहिए कि वह काबिले तारीफ हो। इस गर्मी में क्यों न कुछ ऐसी प्लानिंग करें जो सामाजिक सरोकार से जुड़ी हो।
अरे….हम जेब ढीली करने की बात नहीं कर रहें हैं। हम तो बस आप सभी से थोड़ा सा वक्त चाहते हैं। अब देखिए गर्मी अधिक है यह तो सभी महसूस कर रहें है। दूर-दूर तक हमें कोई पेड़ नहीं दिखता। खास कर शहरों में तो इनका दर्शन दु्र्लभ हो चुका है। आने वाली पिढ़ी को शायद मालूम भी न हो कि गर्मी में मिलने वाली आम, पेड़ पर फलते हैं या फैक्ट्री में बनते हैं। जब आम का रस बन्द बोतल में मिल रहा हो तो बच्चे यहीं सोचेंगे कि इसे फैक्ट्री में बनाया गया है। क्यों न इसी बहाने अपने आस-पास पौधें लगाएं। इससे आने वाले समय में गर्मी की तपिश से निजात और पर्यावरण संतुलन में एक नए पहल की शुरूआत होगी। गर्मी के महीने में ठंढ़े प्रदेश का लुफ्त तो हर कोई उठाना चाहता है। लेकिन पर्यावरण को ठंढक पहुचाएं तब समझे की आप वाकई जांबाज हैं। इसके अलावा भी हमारे पास कई ऐसे काम है जिससे समय का सही प्रवंधन और समाज में सहजता से जरूरतमंद लोगों की मदद की जा सकती है। अब देखिए हमारे आस-पास झुग्गियों में रहने वाले सैकड़ों ऐसे बच्चें है जिन्हें शिक्षा की जरूरत है। अगर हम थोड़ा सा प्रयास करें तो इनके जीवन में भी उजाला लाया जा सकता है। अपनी पुराने किताब जो अब धूल फांक रही है, जिनकी हमें शायद ही जरूरत हो उन्हें हम वितरीत कर गरीब बच्चों के बीच रोशनी की किरण दिखा सकते हैं।
वैसे लोंग जो समाज में कुछ करने का जज्बा रखते हैं, वह इन छुट्टीयों में दोस्तों का एक पुल बना सकते हैं। जिसमें ऐसे लोगों को शामिल करें जो घर-घर जाकर लोगों को समाज के वंचित लोगों के साथ कुछ समय बिताने के लिए प्ररित कर सकें। उनकी भावनाओं की कद्र करें। जहां तक हो सके, उनकी समस्या से लोगों को अवगत कराएं और अभी तक जो भूल हुई है उसे भुला कर गले लगाएं। समाज में ज्ञान की ज्योति जलाएं।
यह तो थी छुट्टियों में सरोकार की बाते। जब हम छात्र हैं तो हमारा कुछ कर्तव्य भी है। हमनें पिछली कक्षा में जो कुछ भी भूल-चूक की उसे सधारने का यही वक्त है। यहीं तो वक्त है कि हम अपने वारे में निष्पक्ष भाव से सोचें। खुद के प्रति इमानदारी से निर्णायक भूमिका निभाएं। जहां तक हो सके खुद अधिक से अधिक पढ़े। पिछली क्लास में जो छुट गया है उसे पूरा करें। अगले सत्र के लिए जरूरी किताबों की खरीदारी करें। कुछ ऐसा करें कि आने वाले समय में अपनी पहचान हो। गलतियों को न दुहराते हुए भविष्य के प्रति नतमस्तक होकर अच्छे परिणाम का संकल्प निभाएं।।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply